मेरा रोम रोम बोले जय शंखर बम बोले 
ओ मन  धिनक धिनक डोले तेरा डामरु जब डोले 
 
मुझको भी भसम लगा दे मेरा अंग अंग महकादे
मै भी तेरे संग नाचू ज़रा डमरू थोड़ा बजा दे 
भ्रमाण काँप जाए जब तीजा नेत्र खोले 
ओ मन  धिनक धिनक डोले तेरा डामरु जब डोले
मेरा रोम रोम बोले जय शंखर बम बोले 
 
पिता चत्रुमुख स्वम् पंचमुख एक संतान है षण्मुख
भसम रमे भोले बाबा दूजा सूत है गजमुख 
ओ मन  धिनक धिनक डोले तेरा डामरु जब डोले
मेरा रोम रोम बोले जय शंखर बम बोले 
तू शंकर कैलाशी तू है घट घट वासी 
 
सबका भोला बाबा तू है पक्कड़ सन्यासी 
है सफल वही जीवन जो हर हर महादेव बोले 
ओ मन  धिनक धिनक डोले तेरा डामरु जब डोले
मेरा रोम रोम बोले जय शंखर बम बोले